अपने रिश्ते की तरह
सर्द पड़ी
किसी शाम में
जला दी थीं
कुछ बेचैनियां
लकड़ियों की शक्ल में
सर्द पड़ी
किसी शाम में
जला दी थीं
कुछ बेचैनियां
लकड़ियों की शक्ल में
यादें उमड़ती रहीं
धुएं सी दिल में
बहुत देर तलक
धुएं सी दिल में
बहुत देर तलक
बेपरदा कर गईँ
तमाम
पोशीदा जज़्बात मेरे
तमाम
पोशीदा जज़्बात मेरे
आँखों की नमी
पैरहन थी
उनकी शायद........
-----प्रियंका
पैरहन थी
उनकी शायद........
-----प्रियंका
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