रोज़ ही आता है सूरज
लौट जाता है
चहल कदमी कर के
साँझ जोहती है बाट
पहरों पहर
वक़्त सिखा देता है
तमाम क़ायदे ख़ुद ही
कोई तो सिखा दो
यादों को भी
लौटने का हुनर........
-----प्रियंका
लौट जाता है
चहल कदमी कर के
साँझ जोहती है बाट
पहरों पहर
वक़्त सिखा देता है
तमाम क़ायदे ख़ुद ही
कोई तो सिखा दो
यादों को भी
लौटने का हुनर........
-----प्रियंका
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