कुछ आहटें कुछ खामोशियां
बहते बदलों सी उम्मीदें इंतजार में
बरस गईं जाने कब..
जिंदगी सरकती रही चांद की लुकाछिपी में
रात की मानिंद
पांव थक गए पर सफर यूं ही
मुसलसल गुजरता ही रहा
थकने सा लगा है अब तो
ये रास्ता भी जाने क्यूं
शायद रूह बदल रही रास्ते अपने......
नींद से कडुआई पलकों पर
कुछ ख्वाब पूछ ही बैठे हैं..
किस तलाश में है तू............
जिंदगी................
-------प्रियंका
बहते बदलों सी उम्मीदें इंतजार में
बरस गईं जाने कब..
जिंदगी सरकती रही चांद की लुकाछिपी में
रात की मानिंद
पांव थक गए पर सफर यूं ही
मुसलसल गुजरता ही रहा
थकने सा लगा है अब तो
ये रास्ता भी जाने क्यूं
शायद रूह बदल रही रास्ते अपने......
नींद से कडुआई पलकों पर
कुछ ख्वाब पूछ ही बैठे हैं..
किस तलाश में है तू............
जिंदगी................
-------प्रियंका
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