मौन की पीड़ा
व्याकुल करती
अब वापस कर
दो मेरे गीत
झूठ भले हो
वादा तेरा
जीने का
संबल देता है
बीते लम्हों
से ला लाकर
प्राणवायु दे देता है
शेष बची जो
साँसे ले लो
वापस कर दो
मेरा मीत
जग सारा
बैरी हो बैठा
तेरी प्रीत कभी न छूटी
लाखो कंटक
पाए पथ में
तेरी आस अभी न टूटी
चाहे जितनी
दूर रहो तुम
संग रहने देना अपनी प्रीत
जनम जनम तक
संग रहू
बस इतनी सी
अभिलाषा है
तुमसे मिल
कर पूर्ण हुई हूँ
शेष नहीं
कोई आशा है
जग के सारे
वैभव लेलो
ला दो वापस
वही अतीत
=====प्रियंका
बहुत ही खूबसूरत
ReplyDeletethnx preetika
Deleteजग के सारे वैभव ले लो.....
ReplyDeleteकोई लौटा दे मेरे बीते हुवे दिन
जीवन का अंत संभव नहीं है।
जीवन तो अनंत है। फिर जी उठता है।
ओर चल पड़ता है। संभवता हम पुन्हा
लौट कर आ जाते है ।अपने बीते दिनों में।
अनुभूति होती है। बिछड़े पलों की पर याद नहीं!
thnx sir
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ReplyDelete"जनम जनम तक संग रहू
ReplyDeleteबस इतनी सी अभिलाषा है
तुमसे मिल कर पूर्ण हुई हूँ
शेष नहीं कोई आशा है
जग के सारे वैभव लेलो
ला दो वापस वही अतीत"
अच्छा गीत है ...
hardik aabhar SHOONYA AKANKSHI sir
Deleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteसमर्पण एवं अनन्य प्रेम की ऊचाइयों को छूती बहुत ही सुंदर रचना ! शुभकामनायें !
ReplyDeleteमौन की पीड़ा व्याकुल करती
ReplyDeleteअब वापस कर दो मेरे गीत
ati sundar ..prem or samrpan ki sundar avivyakti :) badhayi evam shubhkamnaye
बहुत सुन्दर.. बहुत प्रभावशाली
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