अक्सर
खामोश हो जाया करती हैं
यूँ ही बेलौस बहते बहते
या बैठ जाया करती है
अख्तियार कर
एक चुप सी
गिर्द फूलों के
देखते एकटक
मानों सहेज लेना हो हर कतरा
उन लम्हों का
जो अख्तियार में नहीं
मिल गए हो अचानक ही
खामोश हो जाया करती हैं
यूँ ही बेलौस बहते बहते
या बैठ जाया करती है
अख्तियार कर
एक चुप सी
गिर्द फूलों के
देखते एकटक
मानों सहेज लेना हो हर कतरा
उन लम्हों का
जो अख्तियार में नहीं
मिल गए हो अचानक ही
घुटन सी होती है
शायद
खुशबुओं का दम घुटता है
भीड़ में तितलियों की
-----प्रियंका े
शायद
खुशबुओं का दम घुटता है
भीड़ में तितलियों की
-----प्रियंका े
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