Wednesday 5 February 2014

तुम आओगे ना


सुनो तुम्हें याद है ना
वो खुशगवार मौसम
सपनों की सतरंगी धूप
कुछ मुस्कुराहटो की कलियाँ


हमारी हंसी,खिलखिलाहटों के
कुछ सफ़ेद झरते फूल
मेरा बस मुग्ध होकर
तुम्हें उनको चुनते देखना

मगर आज सर्द मौसम में
कहीं छुप सा गया है सूरज
उदास से ये फूल अक्सर पूछते हैं
कब बदलेगा मौसम
और निखरेगी खुशगवार बन कर फिजा
कुछ तो ज़वाब दो

अपने पसंद के फूलों को चुनने
तुम आओगे ना...
बोलो......................


©प्रियंका

6 comments:

  1. yes, mausam badalega. Suraj bhi nikalega.

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  2. बहुत खूब। सुन्दर अभिव्यक्ति

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  3. शानदार .......
    खिलखिलाती कविता !!
    अच्छा है इंतजार !!

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