आज भी खिलती हैं यादें तेरी
गुलदाऊदी के फूलों सी
अहसास के तमाम रंगों से लबरेज़
तो अचानक महसूस होती है
हंसी तेरी झरते हरसिंगार सी
गुलदाऊदी के फूलों सी
अहसास के तमाम रंगों से लबरेज़
तो अचानक महसूस होती है
हंसी तेरी झरते हरसिंगार सी
खुशनुमा मौसम सर्द हवाएं
ठंडी हथेलियाँ मुँह से निकलती भाप
गर्म कॉफ़ी
सब वैसा ही है
कुछ भी तो नहीं बदला
ठंडी हथेलियाँ मुँह से निकलती भाप
गर्म कॉफ़ी
सब वैसा ही है
कुछ भी तो नहीं बदला
हाँ बहुत मद्धम हो चली है
तपिश सूरज की
और तुम सा नज़र भी नहीं आता
ज़िद्दी है
तुम्हारी ही तरह
तपिश सूरज की
और तुम सा नज़र भी नहीं आता
ज़िद्दी है
तुम्हारी ही तरह
तेरे जाने से
उदासी के कोहरे में लिपटा दिसंबर
गुज़र तो रहा है
पर जाने क्यों
बहुत लम्बा हो चला है.....!!!
----प्रियंका
उदासी के कोहरे में लिपटा दिसंबर
गुज़र तो रहा है
पर जाने क्यों
बहुत लम्बा हो चला है.....!!!
----प्रियंका