Wednesday 5 February 2014

सुनो मेघ

घन मेघ सांवरे उड कर तुम
बाबा की नगरी भी जाना
संग अपने तुम थोडा सा
इन आंखों का पानी भी ले जाना

पापा से कहना स्वस्थ रहें
भइया का मार्ग सदा प्रशस्त रहे
भाभी का सौभाग्य अक्षत रहे
मुन्ने को आशीर्वचन तुम दे आना 

मत कहना उनसे दर्द कोई
कहना मै तो रानी सी हुई
बस मेरी सारी खुशियों की
अच्छे से खबर तुम दे आना

बागों के उन झूलों की
बचपन के खेल खिलौनों की
उन बिछडी सारी सखियों की
खोज खबर तुम ले आना

माटी की सोंधी खुशबू लाना
मां पापा का सारा प्यार दुलार
कुछ बचपन की यादें लाना
आते आते फिर एक बार 

भइया की कलाई भी छूकर आना
घन मेघ सांवरे उड कर तुम
बाबा की नगरी भी जाना
संग अपने तुम थोडा सा
इन आंखों का पानी भी ले जाना..........

©प्रियंका

3 comments:

  1. मेरी एक रचना के ये हिस्से मायके की याद के सन्दर्भ में यहां सुसंगत है।

    छत की मुण्डेर पर कौव्वे रोज देते हैं सन्देशे,
    घर आंगन चौबारा खुली खिडकियां उदास है।।

    जहां कूकती फिरती थी तुम सहेलियों के साथ,
    गांव शहर के चौपाल चौराहे गलियां उदास है।।

    वो मासूम किलकारियों के साथ उछलते फ़व्वारे,
    सूखी दूब, टूटे गमले, कुन्द कलियां उदास है।।

    बचपन में तुमने करवायी थी जिनकी शादियां,
    आलमारी में बन्द वो गुडडा गुडिया उदास है।।

    जिन्हें खिलाया करती थी अपने हाथ से दाना,
    बिजली के तारों पे बैठी वो चिडिया उदास है।।

    जिसकी गोद में बैठी सुना करती थी कहानियां,
    चौबारे में बैठ बुलाती वहां ददिया उदास है।।
    .
    उस दिन के कैलेण्डर का पन्ना भी नहीं बदला,
    दीवार पे टंगी हुर्इ वो बन्द घडियां उदास है।।

    लाल, पीली, हरी, शरबती बफऱ्ीले फूल के गोले,
    स्कूल के पास उस रेहडी की कुलिफ़यां उदास है।।

    अमचूर के चूरन की गोली, चुस्की, पोले पापड,
    र्इनाम के पत्ते, नारंगी की टाफि़यां उदास है।।

    तुम बिन ये दीवाली की चमक होली के रंग,
    रोली टीका पताशा फीका मोली की राखियां उदास है।।

    बेला चमेली के गजरों की कलियां कुम्हला गयी,
    बिन्दी लाली काजल सुरमें की डिबिया उदास है।।

    जहां कमला विमला सीता गीता साथ लगाती थी पेंग,
    बौराये आमों के वो झूले वो डालियां उदास है।।

    जिन्हें पहन तितली जैसे इतराती फिरती थी मेले में,
    वो रेशमी फुन्दे पीतल के छल्ले बालियां उदास है।।

    ज़मीर

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    1. हार्दिक आभार विशेष टिप्पड़ी हेतु सर

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  2. अति सुन्दर रचना।
    इस गीत को यदि संगीत में ढाल दे।इसके मधुर स्वर आनंदायी हो जायेगे। आशा भोसले के एक गीत का स्मरण हो आता है।"मेरे भैया को संदेसा पहुचना की चन्दा तेरी ज्योत बड़े"

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