Tuesday 4 February 2014

सरस्वती वंदन


श्वेतवर्णी हंसवाहिनी
वीणावादिनी शारदे मां
अज्ञानता के घन हटाकर
ज्ञान का उपहार दे मां

रिक्त अकिंचन शरण आए
बुद्धि दे व्यवहार दे मां
सहज संसृति की धार दे दे
अभय दे निज प्यार दे मां

सप्त स्वर तुममें समाहित
ज्ञान गंगा तुमसे प्रवाहित
करबद्ध हमचरणों में आए
विद्या का बस अधिकार दे मां

निज भक्ति का विश्वास दो
वरद हस्त का आभास दो
नित तेरा ही अर्चन करें
निर्मल यही उपहार दे मां

©प्रियंका

3 comments:

  1. शुभकामनायें ...!

    अंतरस्पर्शी माँ का स्तुति को सह्र्दय नमन !

    पुन: शुभकामनायें !

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    1. This comment has been removed by the author.

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    2. उपस्थिति एवं टिप्पड़ी हेतु हार्दिक आभार।

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