नारी मन ---
कर्तव्यों और सम्बन्धों का निर्वहन करते
जीवन पर्यंत झंझावातों का सामना करते
और प्रतिदिन अनगिनत हिसाब किताब करते हुए
उन पलों का सही सही आकलन कहां कर पाता है
जो उसने स्वयं के लिए जिए.........
अंतर्मन के कोमल नन्हें पंखों से
अनन्त आकाश की ऊंचाइयां नापने का एक प्रयास....
Monday, 10 February 2014
कुछ एहसास
कुछ एहसास भेजे थे तुमको..... लौटे तो बडे मायूस से लगे
बहुत देखा कहीं भी न मिले निशान तेरे छूने के........ पर..........
हर सफहा बडा नम सा लगा शायद साथ लाए थे
तेरी आंखों की नमी जो तूने छिपा रखी थी मुझसे.........
Bahut sunder Ehsaas Priyanka Ji! Aapki baki rachnayein bhi utni hi behatareen hai..!!
ReplyDeleteआभार अभिलेख जी।
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