वीणावादिनी शारदे मां
अज्ञानता के घन हटाकर
ज्ञान का उपहार दे मां
रिक्त अकिंचन शरण आए
बुद्धि दे व्यवहार दे मां
सहज संसृति की धार दे दे
अभय दे निज प्यार दे मां
सप्त स्वर तुममें समाहित
ज्ञान गंगा तुमसे प्रवाहित
करबद्ध हमचरणों में आए
विद्या का बस अधिकार दे मां
निज भक्ति का विश्वास दो
वरद हस्त का आभास दो
नित तेरा ही अर्चन करें
निर्मल यही उपहार दे मां
©प्रियंका
शुभकामनायें ...!
ReplyDeleteअंतरस्पर्शी माँ का स्तुति को सह्र्दय नमन !
पुन: शुभकामनायें !
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Deleteउपस्थिति एवं टिप्पड़ी हेतु हार्दिक आभार।
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