कुछ अपनी ही धुन में रहती
एक मुग्धा सी अपलक तकती
एक चकोरी पंथ निहारे
अब तो तू आ जा चंदा
तुझ संग हंसना तुझ संग रोना
तुमसे मिलते ही खुश होना
तू ही बसे उसके मन में
हो चाहे कितनी दूर तू चंदा
वह पगली बस यूं ही सोचे
उसकी खुशियों में तू खिल जाता
गम में उसके तू घट जाता
पर कहां भला तू उसका चंदा
तू तो संग चांदनी आता जाता
उस संग ही बस हर्षाता
चांद चांदनी इक दूजे के
तू और भला किसका चंदा
कुछ भोले सपने मन में लिए
इक झूठे से भ्रम में जिए
उसकी मासूम सी ख्वाहिश पर
रहा सदा मुस्काता चंदा
--प्रियंका
aap ke bolg par aa kar shukhad laga , adhuwaad .
ReplyDeletenamskaar
thnx Sunil ji
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