मैं और तुम.......
जैसे नदी का किनारा
और एक नदी
नदी जो तमाम भंवर
और गहराइयाँ खुद में समेटे
पर ऊपर से शांत
तुम्हारी तरह
कभी रूकती नहीं
किसी के लिए
बस तलाश अपनी मजिल की
और मैं तटबंध की तरह
साथ तो हूँ तुम्हारे
पर कभी ठहरने को
कहा ही नहीं
बस खुद में
तुम्हारी अनुभूति सहेज
साथ तो हूँ तुम्हारे
हर पल
मगर
स्थिर हूँ वही पर
----प्रियंका
जैसे नदी का किनारा
और एक नदी
नदी जो तमाम भंवर
और गहराइयाँ खुद में समेटे
पर ऊपर से शांत
तुम्हारी तरह
कभी रूकती नहीं
किसी के लिए
बस तलाश अपनी मजिल की
और मैं तटबंध की तरह
साथ तो हूँ तुम्हारे
पर कभी ठहरने को
कहा ही नहीं
बस खुद में
तुम्हारी अनुभूति सहेज
साथ तो हूँ तुम्हारे
हर पल
मगर
स्थिर हूँ वही पर
----प्रियंका
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