घन मेघ सांवरे उड कर तुम
बाबा की नगरी भी जाना
संग अपने तुम थोडा सा
इन आंखों का पानी भी ले जाना
पापा से कहना स्वस्थ रहें
भइया का मार्ग सदा प्रशस्त रहे
भाभी का सौभाग्य अक्षत रहे
मुन्ने को आशीर्वचन तुम दे आना
मत कहना उनसे दर्द कोई
कहना मै तो रानी सी हुई
बस मेरी सारी खुशियों की
अच्छे से खबर तुम दे आना
बागों के उन झूलों की
बचपन के खेल खिलौनों की
उन बिछडी सारी सखियों की
खोज खबर तुम ले आना
माटी की सोंधी खुशबू लाना
मां पापा का सारा प्यार दुलार
कुछ बचपन की यादें लाना
आते आते फिर एक बार
भइया की कलाई भी छूकर आना
घन मेघ सांवरे उड कर तुम
बाबा की नगरी भी जाना
संग अपने तुम थोडा सा
इन आंखों का पानी भी ले जाना..........प्रियंका
आते आते एक बार फिर भाई की कलाई छू आना...रोमहर्षक ...मेरी आँखें भर आयीं...पीहर की याद करके
ReplyDeleteअतिसुन्दर है
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