Monday, 29 February 2016

बहुत ज़रूरी हो जाता है
चमक से चुँधियाइ आँखों को
दूर करना तेज़ रौशनी से
ताकि बचा रह सके
मौलिक अस्तित्व 
छोटे से दिए की रौशनी का
रुक कर कहीं
तेज़ रफ़्तार से छुड़ा हाथ
नापना अपने कदमों की गहराई
खोजना तमाम छूटे निशान
जो अनदेखे रहे
आपाधापी में
भीड़ से अलग बैठ
शांत होकर
मन के किसी कोने में
खोजना मिलना खुद से
बहुत ज़रूरी हो जाता है
भारहीन हो उड़ना
सम्भावनाओं के
अनंत आकाश में
आकर्षण के गुरुत्व से
मुक्त हो
अधूरे सपनों के लिए........!!!!
------प्रियंका

2 comments:

  1. वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर

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