मृत्युंजय भगवान शिव के चरणों में अर्पित
पञ्च चामर छंद
रगड़+जगड+रगड़+जगड+रगड़+ गुरु
अर्थात-
12 12 12 12 12 12 12 12
fathers day पर अपने शिव भक्त पापा के लिए
महाकराल कंठ नाग रौद्ररूप को धरे
पिनाक धारि के सदा अकाल काल को हरे
सदा रहे शिवोन्मुखी न पाप ताप सों जरे
प्रभो बिसारि मोह मान दीन वंदना करे
प्रचंड वेग गंग की जटा गुथी रहे रजे
गले सुहाय मुंडमाल भाल चंद्रमा सजे
कराल कालरुद्र रूप मान देवता भजे
अपार रूपराशि देख लाख चंद्रमा लजे
त्रिनेत्र क्रोध ताप बीच कामदेव भी जरा
धराधरेन्द्र नंदिनी बनी प्रिया उन्हें वरा
हुआ परास्त काल तो प्रचंड दैत्य भी डरा
विमोह मान त्याग के सती पिता तभी तरा
भजूं शिवा शिवो प्रभो अपार बंध को हरो
विराग द्वेष मेटि के सप्रेम भाव को भरो
बिसारि पाप मोर दास मान दोष ना धरो
कहां बुलाय के जपूं हिया सदा बसा करो
-------प्रियंका
— with Vinod Tripathi.पञ्च चामर छंद
रगड़+जगड+रगड़+जगड+रगड़+ गुरु
अर्थात-
12 12 12 12 12 12 12 12
fathers day पर अपने शिव भक्त पापा के लिए
महाकराल कंठ नाग रौद्ररूप को धरे
पिनाक धारि के सदा अकाल काल को हरे
सदा रहे शिवोन्मुखी न पाप ताप सों जरे
प्रभो बिसारि मोह मान दीन वंदना करे
प्रचंड वेग गंग की जटा गुथी रहे रजे
गले सुहाय मुंडमाल भाल चंद्रमा सजे
कराल कालरुद्र रूप मान देवता भजे
अपार रूपराशि देख लाख चंद्रमा लजे
त्रिनेत्र क्रोध ताप बीच कामदेव भी जरा
धराधरेन्द्र नंदिनी बनी प्रिया उन्हें वरा
हुआ परास्त काल तो प्रचंड दैत्य भी डरा
विमोह मान त्याग के सती पिता तभी तरा
भजूं शिवा शिवो प्रभो अपार बंध को हरो
विराग द्वेष मेटि के सप्रेम भाव को भरो
बिसारि पाप मोर दास मान दोष ना धरो
कहां बुलाय के जपूं हिया सदा बसा करो
-------प्रियंका
बहुत सुंदर रचना. गज़ब का प्रवाह
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