tag:blogger.com,1999:blog-5344812182638640467.post6881139483684638209..comments2023-07-04T20:49:48.579+05:30Comments on संवेदना: यादेंAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/00098966293503775561noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5344812182638640467.post-26430767187616881822016-06-14T19:07:01.182+05:302016-06-14T19:07:01.182+05:30वाह ....आज भी खिलती हैं यादें तेरी ...गुलदावरी ...वाह ....आज भी खिलती हैं यादें तेरी ...गुलदावरी के फूलों सी ... ठंडी हथेलियाँ और गर्म काफ़ी ....बहुत लम्बा हो चला हैं उदासी के कोहरे मैं लिपटा दिसम्बर...और तेरी यादों का मौसम ...बहुत खूबसूरत परिकल्पना हैं प्रियंका जी ..अपनी सी लगी ये रचना .....इक पुराना गीत याद आ गया ...दिल मैं फिर आज तेरी याद का मौसम आया ....याद तो होगा आपको भी ...बहुत खूब सोचता हूँ की काश ..इस रचना के नीचे मेरा नाम लिखा होता रचयिता मैं ..लेकिन ऐसा न लिख पाता...बहुत बधाई आपको <br /> हरीश भट्ट https://www.blogger.com/profile/08494903091515967137noreply@blogger.com