Monday 7 April 2014

मौन की पीड़ा व्याकुल करती
 अब वापस कर दो मेरे गीत

 झूठ भले हो वादा तेरा
जीने का संबल देता है
बीते लम्हों से ला लाकर
 प्राणवायु दे देता है
 शेष बची जो साँसे ले लो
वापस कर दो मेरा मीत

जग सारा बैरी हो बैठा
 तेरी प्रीत कभी न छूटी
 लाखो कंटक पाए पथ में
 तेरी आस अभी न टूटी
चाहे जितनी दूर रहो तुम
 संग रहने देना अपनी प्रीत

जनम जनम तक संग रहू
बस इतनी सी अभिलाषा है
 तुमसे मिल कर पूर्ण हुई हूँ
शेष नहीं कोई आशा है
 जग के सारे वैभव लेलो
ला दो वापस वही अतीत
                                 =====प्रियंका


11 comments:

  1. बहुत ही खूबसूरत

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  2. जग के सारे वैभव ले लो.....
    कोई लौटा दे मेरे बीते हुवे दिन
    जीवन का अंत संभव नहीं है।
    जीवन तो अनंत है। फिर जी उठता है।
    ओर चल पड़ता है। संभवता हम पुन्हा
    लौट कर आ जाते है ।अपने बीते दिनों में।
    अनुभूति होती है। बिछड़े पलों की पर याद नहीं!

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  4. "जनम जनम तक संग रहू
    बस इतनी सी अभिलाषा है
    तुमसे मिल कर पूर्ण हुई हूँ
    शेष नहीं कोई आशा है
    जग के सारे वैभव लेलो
    ला दो वापस वही अतीत"

    अच्छा गीत है ...

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  5. समर्पण एवं अनन्य प्रेम की ऊचाइयों को छूती बहुत ही सुंदर रचना ! शुभकामनायें !

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  6. मौन की पीड़ा व्याकुल करती
    अब वापस कर दो मेरे गीत
    ati sundar ..prem or samrpan ki sundar avivyakti :) badhayi evam shubhkamnaye

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  7. बहुत सुन्दर.. बहुत प्रभावशाली

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