Friday 18 April 2014

मम्मा जगमग तारों की दुनिया में तुम कैसे मेरे बिन रहती होगी

मम्मा जगमग तारों की दुनिया में
तुम कैसे मेरे बिन रहती होगी
क्या याद मुझे तुम भी
हरपल एसे ही करती होगी

मम्मा सुबह सवेरे उठ जाता हूं
पर पास नहीं तुमको पाता हूं
आंखें मूंदे लेटा रहता हूं
तुमको ही सोचा करता हूं
पास अभी तुम आओगी
प्यार से मुझे जगाओगी

चुप से दूध भी पी लेता हूं
तंग जरा भी करता हूं
होमवर्क भी बाकी रहता
और खेलने को भी लडता
मम्मा जब तुम वापस आओगी
मुझको अच्छा बच्चा पाओगी

हां मम्मा चुपके से सुनना
और किसी से भी कहना
भूख नहीं बिलकुल भी होती
कौन खिलाए दौड के रोटी
पापा तो आफिस जाते हैं
हां अब जल्दी घर तो जाते हैं
दादी थोडा सा ही चलती हैं
पर अक्सर घुटने अपने मलती हैं

पापा से लोरी सुन लेता हूं
सोने का बस नाटक करता हूं
तुम जब मुझे सुलाती थीं ना
चूडी छन छन बजती थी ना
मम्मा सबकी जब मम्मी आती हैं
तेरी याद बहुत आती है

भगवान कभी जब मिलेंगे तुमसे
सब कह देना तब तुम उनसे
मेरी टॉफी और खिलौने ले लें
गुलल्क के सब सिक्के ले लें
भोग से पहले लड्डू मागूंगा
उनकी मिठाई भी देखूंगा

बहुत लडूंगा इक रोज मैं उनसे
क्यूं वो मेरी सुनते नहीं
क्यूं तुमको वो लेकर गए
क्या उनकी अपनी मम्मी नहीं

          --------प्रियंका

3 comments:

  1. बहुत लडूंगा इक रोज मैं उनसे
    क्यूं वो मेरी सुनते नहीं
    क्यूं तुमको वो लेकर गए
    क्या उनकी अपनी मम्मी नहीं ...waah waah waah ...sambednao ki tibrata ..bhaavnao ka jaljala aapki rachna ko kavya ka sikhar pradaan kar raha ..bhaut badhayi ...

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  2. बहुत ही मार्मिक रचना है दी काश मै भी भगवान से लड़ पाती

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  3. मम्मा की सुंदर याद ..........

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