Monday 10 March 2014

जिंदगी-------

जिंदगी-------
एक बंद किताब
जिसके हर पन्ने
पर रेखांकित हैं
कुछ बदलते मापदंड
रेखांकित हैं
झूठ और सच के
जाने कितने अक्षर
क्यूं भटकती है हर पल
किसी
अनजानी सी तलाश में
छुपाती हैं मन की व्यथाएं
फीकी हंसी के पैबंद से
कभी सिसकती है
खामोशी के पर्दे में
पर रोज जुट जाती है
 एक नई हिम्मत से
तार तार हुए मन पर
एक नया पैबंद लेकर................

       --------प्रियंका

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