Saturday 8 February 2014

पुरानी आलमारी


अलमारी के इक कोने में
आज भी तेरी सौगातें हैं
मेरे कुछ ज़ज्बात हैं उनमें
कितनी प्यारी बातें हैं

कुछ प्यारे बीते मायूस से लम्हे
नम आँखों से मुझको देखें
चुप रहते कुछ भी न कहते
फिर भी जाने क्या क्या कहते

कुछ दीवारों पर चस्पा यादें
कुछ खुशबू बीती बातों की
सब यादें आज भी ताज़ा हैं
उन सारी सौगातों की

डायरी के मायूस से पन्ने
गुलाब के सूखे फूल सभी
कभी खिलखिलाते थे ये पन्ने
ताज़ा थे सारे फूल कभी

हाँ इतना तो मालूम है मुझको
इतनी खबर मुझको भी है
वक़्त की धुल तले दब कर
पन्ने बस दफन हुआ करते हैं

सूखे फूल किताबों में
ताज़ा नहीं हुआ करते हैं
नाउम्मीदी में भी जाने क्यों
इक उम्मीद में साँसें हैं

अलमारी के इक कोने में
आज भी तेरी सौगातें हैं
मेरे कुछ ज़ज्बात हैं उनमें
कितनी प्यारी बातें हैं

©प्रियंका

2 comments:

  1. Bahut hi behatreen rachna! Yun to saare achhe hain...ek se badhkar ek hain..!

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  2. ...लाज़वाब....दिल को छूते बहुत कोमल अहसास...

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